डी टी यू टाइम्स ने व्यवस्थाक राव कुशाग्र यादव का साक्षात्कार किया और बदले में उन्होंने एक सुन्दर कृति भेंट करी।
पूर्वी दिल्ली का यह प्रांगण जिसमे हर चीज़ मुझे मिली हैं,
वो कैंपस जहाँ ऐसे लोग हैं, जो वक़्त बनाना ही नहीं, चलाना भी जानते हैं।
ये वह लोग हैं, जो कहते हैं, और करके दिखाते हैं।
पचहत्तर साल का काफिया है,
जो आप ले कर चले आये हैं,
और बच्चों का भविष्य बनाने के लिए,
खुद को न्योछावर कर देते हैं।
यहाँ हर शिक्षक-छात्र बहुत कुछ कर रहे हैं,
और हर इंसान का ये रूप निहार रहे हैं।
ये बना रहे हर किसी के लिए एक नया आसमान,
वक़्त की फ़रमान के लिए,
दुआओं के प्रमाण के लिए।
न जाने कौन कब कहा तक क्या कह पायेगा
ये क्षेत्र मेरे जीवन में, जीवन भर के लिए बस जाएगा।